प्रार्थना मे सामर्थ (पुकार, याचना परमेश्वर से)
जीवन मे ऐसी भी बोहत सीं बाते है। जो मनुष्य के बस में नही है। और आशा है आप सभी मुझ से सहमत हो। अपने बल से कितना भी कोशिश करे पर परिस्थिति बदलती नही है। हमे उस अवलौवकीक कार्य पर विश्वास करना होता है। जो प्रार्थना के द्वारा होती है।
सच्चे हृदय से प्रार्थना करके और अपने आप को उस इशवर को समर्पित करते है तो तभी सारी परस्थीतीया बदलने लगती है।
एक कहानी के द्वारा हम इसे देखते है एक छोटी लड़की जो अनाथ थी और उसका कोई नही था। वो अपने जीवन मे तखलिफ़ और मुश्किल समय से गुजरती आ रही थी। उसका कोई नही था। वह एक ऐसे गांव में रहती थी जहाँ पे एक खड़ूस राजा रहता था। उस गांव में उसने अपना बसेरा बनाना शुरू किया था । वो लड़की अपने नागरिकता के अदिकार के लिए उस राजा के पास जाने लगी क्योंकि उस गांव में एक नियम आया था अगर आपके पास इस गांव की नागरिकता नही है तो आपको यह गांव छोड़ना होगा।
वह हर रोज उसके महल के बाहर जाके अपने अदिकार के लिये उस राजा के सामने विनती प्रार्थना करती रही। सिर्फ एक दिन ही नही कही दिनों तक वह यह करती रही पर उसको न्याय नही मिला पर उसने हार नही मानी। और वह रोज विनती करती थी उस निर्देय राजा के पास।
एक दिन वह राजा परेशान होकर उस लड़की को न्याय दे देता है। इस कहानी में हम ने देखा उस निर्देयि राजा ने न्याय दे दिया तो हमे जिसने बनाया है रचा है वह हमारे लिए क्यों ऐसा नही करेगा।
इस लिये जभी हम प्रार्थना करते है परीस्थितिया बदलती है। और हमारे लिए जो अच्छा है वह हमारे लिए होता है।
प्रार्थना में सामर्थ है।
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