डर मत। में तुम्हारे साथ हु।
डर यह एक ऐसा अहसस हे की जिस से हम सभी जन गुजरते है। शायद वह कम हो या ज्यादा, हारने का डर, या किसी पारिस्थिथी का डर, या भविष्य का डर, या ऐसे कही बीती हुई घटनाओ का डर, या दुष्टआत्मावो का डर, या मरने का डर। सिर्फ डर के कारण ऐसे ही कितनेे लोगो की जान भी गयी है।
डर एक अनजान दुश्मन के तरह होता है। और कभी कभी वह एक अच्छे खासे इनसान को भी अन्दर से खोकला कर देता है। उसकी जो अछि हलत थीं वह और भी बतर/खराब हो जाती है।
पर आपको क्या लगता है ऐसे डर से हमे कोई मदत कर सकता है?
हा हमारा रचने वाला हमारी मदत कर सकता है अगर हम उसपर विश्वास करे तो। जैसे कि यह संसार एक बड़े समन्दर के समान है और हमार जीवन एक नाव के समान। और उस नाव में अगर परमेश्वर हो जिसने सारि दुनिया बनाई है। तो कितना भी बड़ा तूफान आये या आन्धी आये हमे कुछ हानि नही होगी।
परमेश्वर हमारा पिता है और वह हमसे प्रेम करता है । और वह हर परिस्थिति में हमारे साथ रहता है। और वह कहता है की डर मत में तुम्हारे साथ हु।
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