अपने दुश्मन से प्रेम करना आसान है?????

इस जीवन मे अच्छे दोस्त बनना तो मुश्किल है। पर दुश्मन तो ऐसे ही बन जाते है। शायद आप मे से अदिकतर मुझ से सहमत भी होंगे। दुश्मन की सोच "कभी हमारा अच्छा ना हो" यह ही होती है। देखा जाए तो उनके पास कोई और विषय रहता ही नही है हमारे अलावा। उनको सिर्फ एक मौका चाहिए होता है कि कैसे यह बरबाद हो जाये। औऱ जितना बुरा सोच सकते है उतना उन्हकि सोच बुराई सोचती है। जैसे कि दिमग़ की तरह जो अच्छी सोच को भी खोकला करता है। मकड़ी के जाल के तरह जीवन मे जाल बना शुरू करता है। जहां उन्हें अच्छे बुरे की कोई समज ही साफ दिखाई नही देती।
          पर अगर हमें पता है की सामने वाला यह व्यक्ति हमारे बारे में अच्छा नही सोचता।  तो भी हमे उन्हें प्रेम दिखाना है । और हृदय से उन्हें क्षमा करना है। उन्हके लिए अच्छा सोचना है । यह हमारे परमेश्वर का तरीका है। परमेश्वर कहता है अगर कोई एक गाल पे मारे तो दूसरा गाल भी उन्हके सामने करना । शायद ऐसा करने से उस मनुष्य की सोच बदल सकती है। और परमेश्वर चाहता है कि हम उन्हकि भलाई ही करे। और बदला लेना और न्याय करना तो उसका ही काम है।
           मनुष्य से बढ़कर तो वह शैतान है जो लोगो मे फुट लाने का काम करता है। एक दूसरे के बारे में गलत फाइमिया पैदा करता है। आदमी की सोच खराब करता है जिस से वह बुरा करता है।
 सच तो यह है कि शैतान ही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। और जो लोग है वह हमारे भाई-बहन है । हमे सब को एक ही परमेश्वर ने बनाया है। इसलिय एक दूसरे के साथ हमे प्रेम से रहना है। और जो दुश्मन है और क्षमा मांगने आता है तो उसे सात बार ही नही सात से सत्तर गुना क्षमा करना है। अपना भाई या बहन समजकर।
          तो यह याद रखना अगर आप से कोई दुश्मनी करना चाहे तो उन्हें एक प्यारी सी स्माइल देना और हृदय में उन्हें क्षमा करना। बाकी तो ऊपर वाला देख लेगा। क्योंकि वह सब जानता है।

            

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