"विश्वास" ?
विश्वास क्या हैं। आप को क्या लगता है की विश्वास क्या होना चाहिए? पर लोग तो ऐसा भी कहते है कि विश्वास पे तो ये सब दुनिया कायम है। कोई हमे कहता है इसलिये हम विश्वास करते है या वह हमारा खुद का निर्णय होता है। अगर हमारा किसी के साथ गहरा विश्वास का नाता है तो उस नाते को कोई बहार वाला कितना भी तोड़ने की कोशिश करे तो वह नही तोड़ पाता है। क्योंकि उस नाते की बुनियाद ही विश्वास होती है।
अगर विश्वास का एक बहतरीन उदाहरण हम देखे तो वह माता पिता और उनके छोटे बच्चो का जैसे कि जब वह उन्हें देखते है तो बीना हिचकिचाहट अपने आप को उन्ह पर छोड़ देते है क्योंकि वह जानते है कि वे सुरक्षित रहेंगे। उनका रिश्ता ही वैसे बना होता है।
क्या वैसे ही हमे भी अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए? क्या हमारी भी सुरक्षिता उस पर निर्भर है! क्या हम भी यकीन से कह सकते है कि वह हमें गिरने नही देगा। हर परिस्थितियो में हमारे साथ रहेगा। मुझे लगता है हा। खुदा पर भरोसा / विश्वास करना हमारे सब के जीवन का सही निर्णय होगा।
और यह तो सच बात है कि विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना नामुमकिन है। अगर हम इस दुनिया मे है तो हमारा बनाने वाला भी है।
देखे बिना ऐसे किसी भी बात पर यकीन करना कि वह है - यही तो विश्वास है। और इस दुनिया का रचने वाला है । हमारा निर्माता परमेश्वर है ।
आप को क्या लगता है?
Comments
Post a Comment